इक्विटी ट्रेडिंग टिप्स: दाल की कीमतों में गिरावट, कैसे बढ़ेगी किसानों की आय!

रबी की बुआई शुरु हो गई है और पिछले एक साल से जारी दाल और गेहूं की कीमतों में गिरावट अभी भी जारी है। चना को छोड़कर सभी दालें एमएसपी से काफी नीचे हं। सरकार किसानों की आय बढ़ाना चाहती है, लेकिन दाल और गेहूं जमीन छोड़ने को तैयार नहीं। नतीजा ये है कि किसानों की आय में भारी कमी आई है। ऐसे में सरकार ने मटर पर भी अचानक 50 फीसदी की इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी है। वहीं गेहूं के इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि बंपर पैदावार के बाद से नोटबंदी की मार झेल रहा दाल बाजार सरकार के इन कदमों से कितना उबरेगा। सवाल गेहूं को लेकर भी है। विदेश में जब सस्ता है भाव तो फिर घरेलू बाजार में कैसे बढ़ेगा गेहूं का दाम।

चने का भाव 5,000 के नीचे आया है जबकि अरहर 4,000 रुपये प्रति क्विंटल का भाव चल रहा है। वहीं इंदौर में उड़द की दाल की कीमत 3000 रुपये प्रति क्विंटल और मूंग का भाव 4,000 रुपये प्रति क्विंटल है।

सरकार किसानों की आय बढ़ाना चाहती है, इसलिए सरकार ने मटर पर 50 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाने का फैसला किया है। वहीं अरहर, मूंग और उड़द का इंपोर्ट बंद कर दिया है जबकि गेहूं पर इंपोर्ट ड्यूटी दोगुनी कर 20 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाई गई है।

दरअसल, दाल में मंदी की वजह की बात करें तो पिछले साल 220 लाख टन की बंपर पैदावार हुई थी जबकि इस साल 229 लाख टन पैदावार का लक्ष्य था। लेकिन मंडियों में दाल की ओवर सप्लाई होने के कारण ग्लोबल मार्केट में दाल भारत से भी सस्ते कीमतों में मिल रही है।

इधर विदेशी बाजार में गेहूं भारत से सस्ते कीमतों पर मिल रहा है। वित्त वर्ष 2017 में करीब 57 लाख टन गेहूं इंपोर्ट किया गया। इस साल करीब 22 लाख टन इंपोर्ट का अनुमान है। इस साल 9.84 करोड़ टन गेहूं की पैदावार हुई है। इस बार 9.75 करोड़ टन गेहूं पैदावार का लक्ष्य है।

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