चीनी की कीमतों में ऊछाल, खाने के तेल हुए कमजोर

त्यौहारों का सीजन सामने और चीनी महंगी हो गई है। सरकार ने चीनी पर इंपोर्ट ड्यूटी क्या बढ़ाई, इसकी कीमतें बढ़ती जा रही हैं। इस महीने सिर्फ 10 दिनों में भाव 8 से 10 फीसदी तक उछल गए हैं। लेकिन दूसरी ओर राहत की बात ये है कि खाने के तेल कमजोर हैं। इस साल जनवरी से अब तक 15 से 20 फीसदी कीमतें नीचे आ चुकी हैं। अब सवाल ये है कि त्यौहारों के मौसम में चीनी और खाने के तेलों की कैसी चाल रहेगी।

दिल्ली हो या मुंबई चीनी की कीमतें हाजिर में 4 हजार रुपये के पार चली गई हैं। दिल्ली के रिटेल में तो चीनी 45 रुपये किलो बिक रही है। सिर्फ 10 दिनों में भाव 3 महीने की ऊंचाई पर चला गया है। विदेशी बाजार में चीनी काफी सस्ती है, लेकिन भारत में भाव बढ़ रहे हैं। चुकिं मिलों की डिमांड पर सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी को 40 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया है। ऐसे में इंपोर्ट करना भी मुश्किल है। अब दलील है कि आगे त्यौहार पड़ने वाले हैं इसलिए इसकी डिमांड बढ़ रही है।

वहीं इस साल लगातार खाने के तेल की कीमतें नीचे आई हैं। जनवरी से अब तक सोया तेल करीब 12 फीसदी टूटा है, जबकि पाम तेल का दाम 20 फीसदी फिसल चुका है। गौर करने वाली बात ये है कि तिलहन की बंपर पैदावार के बावजूद इस साल खाने के तेलों का इंपोर्ट कम नहीं हुआ है। ऊपर से डॉलर के मुकाबले रुपया इस साल करीब 5.5 फीसदी मजबूत हो गया है।

बता दें कि तिलहन की बंपर पैदावार के बावजूद तेल का भारी इंपोर्ट हो रहा है। खपत का करीब 70 फीसदी खाने के तेलों का इंपोर्ट होता है। ग्लोबल मार्केट में गिरावट का घरेलू बाजार पर असर देखने को मिला है। मलेशिया में पाम तेल का भाव गिरा है।

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